स्कूल या शिक्षण संस्थान पढ़ाई के लिए होते हैं और अगर वहां धार्मिक कामकाज होने लगेंगे तो मंदिर या मस्जिद की जरूरत ही क्या है. किसी भी शिक्षण संस्थान में समानता का सिद्धांत लागू होना बेहद जरूरी है ताकि वहां पढ़ने वाले छात्रों के मन में भेदभाव पैदा न हो सके.
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क्लास में जुमे की नमाज के क्या मायने, अब धर्म के आधार पर चलेंगे देश के स्कूल?
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